आत्मनिर्भर भारत में महिलाओं की भागीदारी
"नारी ने जीवन रूपी कला को अपने हाथों से साकार कर संस्कृति और सभ्यता का रूप निकारा है, नारी का अस्तित्व ही इस मूल्यवान जीवन का सुंदर आधार है।"
" राष्ट्र की उन्नति व विकास, स्त्री की उन्नति या अवनति पर ही निर्भर है।"
आत्मनिर्भर भारत में नारी का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता रमण करते हैं। महिला पति के लिए समर्पण, सेवा, संतान के लिए चरित्र और ममता, समाज के शील और करुणा सजाने वाली महाकृति है। महिला के अभाव में समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती। इसलिए स्वस्थ समाज के निर्माण में महिला की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी शरीर में रीढ़ की हड्डी की होती है। वास्तव में नारी पृथ्वी की कल्पलता के समान है। इसीलिए नारी निंदा का निषेध करते हुए किसी ने उचित ही कहा है --
"नारी निंदा मत करो, नारी नर की खान ।
नारी से नर होते हैं, ध्रुव प्रह्लाद समान।।"
(स्रोत प्यारी दुनिया न्यूज़, फेसबुक)
हमारे भारत देश में आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं जैसे-- विज्ञान, तकनीकी, उद्योग, व्यवसाय, न्याय अंतरिक्ष, खेल, कृषि, अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सशक्त भूमिका निभा रही है और अपने ज्ञान और सोच से देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है। यद्यपि यह संख्या मनुष्य की अपेक्षा कम है, महिलाओं की देश के विकास में योगदान की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बहुत सी योजनाएं लाई गई हैं जैसे उज्जवला योजना, मुद्रा योजना, कौशल विकास योजना मातृत्व बिल, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन आदि।
भारत की महिलाएं राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और सरकार ने उनके योगदान और क्षमता को पहचाना है। सरकार ने महिला सशक्तिकरण को लेकर कई मजबूत कदम उठाए हैं। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' से लेकर महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधा को सुधारने के लिए कई पहल की गई है। सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से देशभर में महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद की है। इससे अब महिलाएं गांव में ही अपना खुद का रोजगार विकसित कर सकेंगी। इसी प्रकार प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत घरेलू गैस कनेक्शन से महिलाओं के रहन-सहन में सुधार के साथ-साथ, खाना बनाने में भी सुविधा हुई है, जिससे ग्रामीण और गरीब महिलाएं काम पर जल्दी जा पाएंगी। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत महिलाओं के कुल 16.42 करोड़ खाते खोले गए हैं । यह वित्तीय समावेश के क्षेत्र में बड़ी सफलता को दिखाता है। इस योजना ने महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित कर आर्थिक विकास के नए पैमानों को तैयार किया है।
आज भी भारतीय महिलाएं वित्तीय तौर पर पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं है। हमारे देश में यदि महिलाएं अपनी पारिवारिक संपत्ति में से किसी कारणवश अपना अधिकार मांगती है, तो उनमें से 80% को उनके पारिवारिक सदस्यों और मित्रों द्वारा अपमानित किया जाता है। इसीलिए हमारे देश के सर्वोत्तम न्यायालय ने यह निर्णय लिया है कि अब महिलाएं भी अपने माता-पिता या पारिवारिक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार होंगी। इससे महिलाओं में एक नया आत्मविश्वास आया है।
आज हमारे देश की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है और आने वाले 10 सालों में महिलाओं के योगदान का प्रतिशत भी बहुत बढ़ेगा, क्योंकि पहले की अपेक्षा बेटियों को भी बेटों की तरह बराबर से शिक्षा दी जा रही है और उन्हें भी बराबर से सुख सुविधा माता-पिता दे रहे हैं। आज माता-पिता बेटियों की शादी भी जल्दी नहीं कर रहे हैं, उन्हें भी स्वावलंबी बना रहे हैं, जिससे धीरे-धीरे हमारे देश में एक क्रांतिकारी परिवर्तन जल्द ही हमें नजर भी आएगा।
आत्मनिर्भर भारत में महिलाओं की भागीदारी दिनोंदिन बढ़ रही है। आज हमारा देश कोरोना के जो मुश्किल दौर से गुजर रहा है उसमें महिलाओं ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया है, जैसे मेडिकल क्षेत्र में या फिर पुलिस के रूप में, या सफाई कर्मचारी के रूप में या समाज सेविका के रूप में,आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में, सरकारी सेवाओं में, शिक्षा के क्षेत्र में, घर में ग्रहणी के रूप में परिवार के खाने पीने का ध्यान रखकर कोरोना के मुश्किल समय में अपना योगदान बराबर से दिया है।
आज महिलाएं भी पुरुष के समान ही हर क्षेत्र में आगे बढ़कर काम कर रही हैं। यह एक सुखद स्थिति है, महिलाओं द्वारा उच्च से उच्च शिक्षा ग्रहण कर पुरुष के बराबर अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया जा रहा है। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर, प्रौद्योगिकी और उच्च प्रशासनिक सेवाओं में और पुलिस सेवाओं में उनका पुरुषों के समान ही सम्मानजनक स्थान है।
भारतीय सेना ने तो देश की युवा महिलाओं पर प्रशंसनीय भरोसा जताया है। अब महिलाओं को भी सेना में लड़ाकू विमानों के संचालन जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जा रही है।
भारत में शिक्षण - प्रशिक्षण और कामकाज करके योग्यता ग्रहण करने में तो महिलाओं का तेजी से योगदान बढ़ है, परंतु पुरुष समाज का नारी के प्रति दृष्टिकोण अभी तक नहीं बदला है, आज भी पुरुष नारी को हेय दृष्टि से देखता है।
इस प्रकार महिलाएं जो राष्ट्र निर्माण में पुरुष के बराबर की ही सहभागिनी रही हैं। आज निर्भय होकर अपने दायित्व का निर्वाह कर रही हैं। समाज के समझदार लोगों को इस कार्य में उनका पूर्ण सहयोग देकर और उन्हें प्रोत्साहित करके राष्ट्र निर्माण के युग में देश की आधी आबादी की प्रतिभा का विकास करना चाहिए। महिलाएं देश के विकास में बराबर का सहयोग कर रही हैं फिर भी कुछ लोगों द्वारा उनके सहयोग को महत्व नहीं दिया जाता है जिससे उनमें उत्साह की कमी हो सकती है। आज भी हमारे देश में महिलाएं देर रात तक बाहर नहीं रह सकती, क्योंकि वह सुरक्षित नहीं है।
यदि हमें अपने देश का विकास और देशों की तरह करना है, तो हमें अपने देश की महिलाओं को आगे बढ़ने का शुभ अवसर देने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के भी अच्छे इंतजाम करने होंगे और उन्हें भी अपने आत्म सुरक्षा की ट्रेनिंग देनी होगी। हमारे देश में आज महिलाओं और पुरुषों की करीब बराबर -बराबर संख्या है, इसलिए हमें महिलाओं के योगदान को प्रोत्साहित करते रहना होगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाएं देश के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान कर सकें। तभी सही मायने में हमारा भारत देश आत्मनिर्भर होगा।

