ऊर्जा संरक्षण
प्रस्तावना-- सबसे पहले हम समझे की ऊर्जा संरक्षण है क्या? किसी काम को करने के लिए ऐसी विधि का पालन करना कि वह काम पूरा होने में कम उर्जा लगे, इसे ऊर्जा संरक्षण कहते हैं। आज का युग विज्ञान और तकनीकी का युग है, जिसमें विभिन्न तरह के यंत्रों के माध्यम से मानव ने विकास की राह को बहुत तीव्र कर दिया है। आज आम बात हो गई है कि लोग विद्युत ऊर्जा का बहुत दुरुपयोग करते हैं जैसे कि मोबाइल फोन चार्जिंग में लगा कर भूल जाते हैं, और बेवजह लाइट व पंखे आदि ऑन ही छोड़ देते हैं। इसके लिए भारत सरकार द्वारा हमारे देश के लोगों के बीच ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान एसोसिएशन वर्ष 1977 में स्थापित किया गया।राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस हर साल 14 दिसंबर को मनाया जाता है। ऊर्जा संरक्षण का सही अर्थ है कि ऊर्जा के अनावश्यक उपयोग को ना करके ऊर्जा की बचत करना है ।वास्तविकता यह है कि जिस तेजी से हम इन संसाधनों का प्रयोग कर रहे हैं, उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब धरती से उर्जा के हमारे ये संसाधन विलुप्त हो जाएंगे। लोगों को जागरूक करने के लिए हम यह प्रचार प्रसार कर सकते हैं कि-
"भविष्य को सुरक्षित है, अगर बनाना,
तो ऊर्जा को अब से बचाना।"
ऊर्जा संरक्षण को हम निम्नलिखित रुप से कर्मानुसार जाने और समझे:-
1. राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य- हर साल 14 दिसंबर को एक विशेष विषय के साथ कुछ लक्ष्यों और उद्देश्यों को ध्यान में रखकर अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
ऊर्जा संरक्षण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में बहुत से कार्यक्रमों जैसे विचार-विमर्श, सम्मेलनों, वाद-विवाद व स्लोगन आदि प्रतियोगिता का आयोजन करना।अत्यधिक और फालतू ऊर्जा के उपयोग के स्थान पर कम ऊर्जा के प्रयोग के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना आदि।भारत के नागरिक 11वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान ऊर्जा के उपयोग को कम करने के अभियान में प्रत्यक्ष अंशदान का भुगतान कर रहे हैं।
2. ऊर्जा संरक्षण और उसका उपयोग-- बढ़ते हुए तकनीक और जनसंख्या वृद्धि के कारण ऊर्जा की मांग में वृद्धि हुई है। हम हर दिन बहुत सारे कार्यों में ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। वाहन चलाने के लिए पेट्रोल, डीजल की आवश्यकता होती है। बिजली भी कोयले से हमारे देश में उत्पन्न होती है जो एक नॉन रिन्यूएबल स्रोत है, इसलिए अब हमारा देश सौर ऊर्जा व पवन चक्कियों को अधिक महत्व दे रहा है। इसके साथ ही साथ हमें ऊर्जा संरक्षण का भी ध्यान रखना होगा और भविष्य के लिए ऊर्जा रूपी निधि का संचय करना होगा। हमारी प्रकृति में जो संसाधन मौजूद है, वे सब पुनः निर्मित नहीं किए जा सकते, क्योंकि वे प्रकृति में सीमित हैं।
अतः यह आवश्यक है कि हम ऊर्जा संरक्षण की ओर विशेष ध्यान दें अथवा इसके प्रतिस्थापना हेतु अन्य संसाधनों को विकसित करें, क्योंकि यदि समय रहते हम अपने प्रयासों में सफल नहीं होते तो संपूर्ण मानव सभ्यता ही खतरे में पड़ सकती है। आइए हम मिलकर संकल्प करें--
"ऊर्जा बचाने का करो संकल्प,
पृथ्वी को बचाने का है यही विकल्प।"
3. ऊर्जा संरक्षण के उपाय-- थर्मल पर्दे, स्मार्ट खिड़कियों के अलावा खिड़कियां ऊर्जा का संरक्षण करने में सबसे बड़ा कारक है। ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा को प्राकृतिक रोशनी और कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप या सीएफएल से (15 वाट और अन्य साधनों के द्वारा ऊर्जा खपत का केवल 1/4 वां भाग की खपत) फ्लोरोसेंट बल्ब, सौर स्मानर्ट टॉर्च, स्काईलाइट, रैखिक फ्लोरोसेंट आदि का प्रयोग करके बचाया जा सकता है।
जल संरक्षण भी ऊर्जा संरक्षण का बेहतर नेतृत्व करता है। लोगों के द्वारा हर वर्ष हजारों गैलन पानी बर्बाद किया जाता है, जिसको विभिन्न संरक्षण के संसाधनों जैसे 6 जीपीएस या कम से कम प्रवाह वाले फव्वारे, बहुत कम प्लस वाले शौचालय आदि का प्रयोग करके बचत की जा सकती है।
ऊर्जा संरक्षण आज की जरूरत है, तभी कल सुनहरा होगा। कुछ सावधानियां बरतकर और अपने साधनों का विवेकशील प्रयोग करके हम आसानी से बड़ी मात्रा में ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं। इस काम को हम अपने घर, सड़क, कार्यस्थल तीनों ही स्थलों पर निम्न प्रकार से कर सकते हैं--
(क) घर पर ऊर्जा का संरक्षण- घर पर ऊर्जा का संरक्षण इस प्रकार से कर सकते हैं-
1. घर पर स्टार लेबल युक्त अथवा आई एस आई मार्क वाले घरेलू एलपीजी चूल्हों का प्रयोग करें।
2. खाना जल्दी बने, इसके लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग करें।
3. खाना हमेशा बर्तन को ढक कर बनाएं।
4. खाना पकाने की सभी जरूरी सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित कर लें, ताकि धन की बर्बादी ना हो।
5. घर में हमेशा लाइट पंखों और किसी भी बिजली उपकरणों को आवश्यकता पर ही इस्तेमाल करें और उपकरणों को हमेशा आन (on) न छोड़ें।
6. घरेलू कार्यों में पानी का भी कम से कम प्रयोग करें।
(ख) ड्राइविंग के दौरान ऊर्जा संरक्षण-- रोड पर ड्राइविंग के दौरान कुछ सावधानियां ध्यान में रखी जा सकती हैं-
1. लाल बत्ती अधिक देर तक होने की स्थिति में अपने वाहन का इंजन बंद कर दें।
2. कार्यस्थल पर आने जाने के लिए कार पूल या सार्वजनिक परिवहन का यथासंभव प्रयोग करें।
3. सरकारी गाड़ियों का भी अनावश्यक प्रयोग ना करें।
4. कम ईंधन खपत के लिए सही गियर में ही वाहन चलाएं।
5. गाड़ी के एयर कंडीशनर का प्रयोग कम से कम करें।
6. अपने वाहन की समय-समय पर सर्विस करवाएं, जिससे ईंधन की खपत कम होगी।
7. वाहन मध्यम गति से चलाएं, इससे ईंधन संरक्षण होगा और दुर्घटना की संभावना भी कम हो जाएगी।
8. अपनी यात्रा का रूट चार्ट पहले से ही निर्धारित करें।
(ग) कार्यस्थल पर ऊर्जा संरक्षण- निम्न बातों का ध्यान रखकर और छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर बड़ी मात्रा में हम ऊर्जा का संरक्षण कार्यस्थल पर कर सकते हैं:-
1. बिजली से चलने वाले उपकरणों को प्रयोग के समय ही ऑन करें और उपयोग के तुरंत बाद ऑफ कर दें।
2. ऑफिस में एयर कंडीशन का विवेकपूर्ण उपयोग करें।
3. प्रिंटर का उपयोग कम से कम करें।
4. कंप्यूटर को स्लीप मोड पर छोड़ने की जगह उसे शटडाउन करें।
5. ऑफिस छोड़ने से पहले सभी लाइट्स और उपकरणों के स्विच ऑफ कर दें।
उपसंहार- ऊर्जा हमारे आज के जीवन को चलाने के लिए अति आवश्यक हो गया है, इसीलिए ऊर्जा का संरक्षण करना बहुत आवश्यक हो गया है । यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो भविष्य में ऊर्जा संसाधन समाप्त हो जाएंगे। देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह ऊर्जा का प्रयोग कम से कम करके ऊर्जा संरक्षण में अपना योगदान दें। हम सबको मिलकर अपनी आने वाली पीढ़ी के भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए ऊर्जा का संरक्षण करना बहुत ही आवश्यक है। ऊर्जा के बिना कोई भी विकास आज के युग में असंभव है, यदि हमें इसी प्रकार विकास करते रहना है तो हमें ऊर्जा के संरक्षण पर ध्यान देना ही होगा और अपनी लापरवाहियों में सुधार लाते हुए ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा।
"प्रकृति की देखभाल करो,
तभी आपका भविष्य उज्जवल होगा।"

