पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली (Ecosystem Restoration)
दिनांक- 15 जून, 2023
द्वारा- प्रीति राय
इस पोस्ट में मैंने पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर निबंध हिंदी में लिखा है, क्योंकि विद्यार्थियों को हिंदी में निबंध कम मिल पाते हैं । विद्यार्थी जिन्हें निबंध लिखने में कठिनाई होती है, वह इस सुंदर एवं सरल निबंध की मदद ले सकते हैं।
यह एक ऐसा विषय है जिस पर निबंध इंग्लिश में बहुत मिलते हैं, पर हिंदी में कम मिल पाते हैं। अतः मैंने इस विषय पर निबंध लिखा है, जो अवश्य ही आपके लिए उपयोगी होगा।
"निरंतर बढ़ रहा पृथ्वी पर हाहाकार,
कभी पेड़, कभी पक्षी तो कभी गायब होते खरपतवार...
अगर ना रोका गया इस दृश्य को, तो
बहाली करना असंभव होगा जीवन सार ।"
प्रस्तावना- सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि पारिस्थितिकी तंत्र क्या है? पारिस्थितिकी तंत्र एक ऐसा कार्यशील एवं परस्पर क्रियाशील तंत्र होता है, जिसका संगठन एक या अधिक जीवों तथा उनके पर्यावरण से होता है या यह कह सकते हैं कि परिस्थितिकी तंत्र एक प्राकृतिक इकाई है जिसमें एक क्षेत्र विशेष के सभी जीवधारी अर्थात् पौधे, जानवर और अणु जीव शामिल हैं, जो कि अजैव पर्यावरण के साथ अंतक्रिया करके एक संपूर्ण जैविक इकाई बनाते हैं। इसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि जैसे एक गाड़ी तभी ठीक प्रकार से चलती है, जब तक उसके सभी कलपूरजे अच्छे से काम करते हैं, उसी प्रकार हमारा जीवन सुचारू रूप से या संतुलित रूप से तभी चलेगा, जब पारिस्थितिकी तंत्र अच्छे से चलता रहेगा। पारिस्थितिकी तंत्र के ठीक प्रकार से चलने के लिए हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा और जो प्रकृति का नुकसान हमने किया है उसे पुनःस्थापित करना होगा जैसे हमें पशु पक्षियों को बचाना होगा, पेड़ पौधों को ज्यादा से ज्यादा लगाकर और उसके प्रजनन में लगने वाले प्राकृतिक समय को कम करके, जंगलों को बचाकर, वायुमंडल को जहरीली हवाओं से मुक्त रखकर, नदियों, तालाबों, जलाशयों और समुंद्र सभी जलीय स्थानों को प्रदूषण से बचाकर आदि।
वस्तुत: आज आवश्यकता है कि हम यह सोचे कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली किस प्रकार से हो, किस प्रकार से पर्यावरण को पुनर्स्थापित किया जाए, क्योंकि संतुलित व शुद्ध पर्यावरण के बिना मानव का जीवन कष्ट में हो जाएगा। हमारा अस्तित्व एवं जीवन का महत्व एक स्वस्थ प्राकृतिक पर्यावरण पर ही निर्भर है। विकास हमारे लिए आवश्यक है और इसके लिए हम स्वार्थवश प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी कर रहे हैं । हमें याद रखना चाहिए कि हम ऐसा कुछ काम न करें, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचे
आज भी हम सचेत हो जाएं तो आगे आने वाली पीढ़ी भी हमसे सीख लेकर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को कम कर पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली को सफल बना पाएगी।
"कुदरत का मत करो शोषण,
यह करती हर जीवो का पोषण।"
1 मार्च, 2019 को यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली ने वर्ष 2021-30 तक पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली का दशक मनाने की घोषणा की है।
2. पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली का अर्थ- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से तात्पर्य है कि उस पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना या पहले जैसी स्थिति में लाना या आना या नवीनीकरण करना अर्थात् जो खराब या नष्ट हो गया हो, उसे पुनर्जीवित करना। पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली करना आज हमारे लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है ।इसके लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों की अहमियत समझना होगा। हम प्रगति करने के लिए दिनोंदिन प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल , खनिज पदार्थों, मिट्टी, पत्थर और वनों आदि का अत्यधिक उपयोग किए जा रहे हैं। इन्हीं प्राकृतिक धरोहर को हमें बचाना होगा, तभी हम अपनी प्रगति को सही मायने में संभाल पाएंगे।
3. पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के उपाय- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए आज बहुत से प्रोजेक्ट चल रहे हैं जैसे - मिट्टी का कटाव रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ों का लगाना दूसरे देश की प्रजातियों और पौधों को हटाना और देशी प्रजातियों और पौधों को फिर से पुनर्स्थापित करना, वनों को फिर विकसित करना आदि। आज हमारे किसान भाई जलवायु के अनुसार खेती नहीं कर रहे हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता और धरती के सूखने की आशंका बढ़ गई है, क्योंकि आज हमारे देश में जहां गेहूं की खेती होनी चाहिए वहां चावल की खेती की जा रही है , जैसा कि हम जानते हैं कि चावल की खेती पानी वाली जगह पर होती है अर्थात् जहां मानसून अच्छा होता है, ऐसी जगहों पर ही किसानों को चावल की खेती करनी चाहिए। इसके लिए हमें किसानों को जागरूक करना होगा, तभी पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली हो सकेगी, धरती सूखने से बच पाएगी। इसी प्रकार हमें धरती से खनिज पदार्थों को समाप्त होने से बचाने के लिए कदम उठाना होगा, जिसके लिए हमें उसके उपयोग को कम करना होगा जैसे हम आज बिजली बनाने के लिए कोयले का प्रयोग करते हैं लेकिन अब बिजली सौर ऊर्जा से बनाने पर जोर देना चाहिए। जिससे हमारे कोयले की खपत कम हो जाएगी और हम सूर्य की रोशनी से बिजली पैदा करके विकास भी कर सकेंगे।
पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली हेतु भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई एक नई तकनीक पश्चिमी बंगाल के सुंदरबन में मैंग्रोव के पुनरुद्धार में मदद कर रही है। समुद्र के बढ़ते स्तर, जलवायु परिवर्तन और मानवीय घुसपैठ के कारण मैंग्रोव वनों का निम्नीकरण हुआ है।पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि मूल वनस्पतियों की पुनर्जनन की अवधि को कम करना है, जबकि प्राकृतिक पुनर्जनन में अधिक समय लगता है।
नई पुनरबहाली तकनीक में देशज लवण -सहिष्णु घासों और निम्नीकृत मैंग्रोव प्रजातियों के विभिन्न क्षेत्रों में सावधानीपूर्वक चुने गए मैंग्रोव प्रजातियों के विविध सेट का रोपण किया जाना शामिल है। साथ ही इसमें विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने वाले जीवाणुओं का उपयोग भी शामिल है।
जलवायु परिवर्तन को रोकने या यूं कहें पहले जैसे जलवायु का होना सुनिश्चित करने के लिए हमें प्रदूषण को रोकना होगा। इसके लिए हमें फैक्ट्रियों में प्रदूषण रोकने वाले यंत्र लगाने होंगे हम सबको मिलकर प्रदूषण करने वाली चीजों से पर्यावरण को बचाना होगा, जिससे पहाड़ों की बर्फ को पिघलने से रोकने में मदद होगी और समुद्र स्तर को बढ़ने से रोकने में मदद होगी और साथ ही साथ धरती सूखने से भी बची रहेगी और हमारा धरती पर जीवन सुरक्षित रहेगा।
4. पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना के लाभ-
1. देशी पौधों की प्रजातियों को सदियों से एक क्षेत्र में उत्पन्न होने का समय मिला है, जबकि गैर देशी स्थानों में नहीं। अतः पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना करने से देशी पौधों की प्रजातियों को मूल आवास और संरक्षण मिलेगा।
2 पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले खाद्य सोतो वन्य जीव प्रतिधारण के लिए फायदेमंद होगा।
3. पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना से जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद होगी है और लुप्त होने वाले प्रजातियों में कमी को रोकने में मदद मिलेगी है।
5. हमारे देश में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली - पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना अभी भी भारत में एक विकासशील अनुशासन है, जिसमें सीमित संख्या में व्यवसाय और परियोजनाएं है। दूसरे शब्दों में बहाली की आवश्यकता भी विचारणीय और अत्यावश्यक है उदाहरण के लिए उच्च मानव दबाव के कारण संरक्षित क्षेत्रों के बाहर अधिकांश वन का क्षरण हुआ है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ने बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए जो रास्ता सुझाया है, वह प्रकृति के रास्ते से होकर गुजरता है। इससे निपटने के लिए ऐसे वृक्षों पर काम शुरू किया गया है, जिनकी क्षमताएं वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है।
6. निष्कर्ष - आज पृथ्वी का पारिस्थितिक तंत्र पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। इसके बहुत से कारणों में से एक हमारी इसे न समझने की प्रवृत्ति रही है। पक्षी, जीव, पेड़- पौधे सब प्रकृति में अपना योगदान बनाए रखते हैं, परंतु मनुष्य ने पारिस्थितिकी तंत्र को छिन्न-भिन्न कर दिया है अब हमें ही इसे पुनः स्थापित करना होगा, जिससे हम स्वच्छ पर्यावरण के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित कर पाऐं और पृथ्वी पर जीवन बचा रहे। यहां मेरा बस यही सबसे कहना है कि-
"प्रकृति का जो दृश्य भव्य है,
उसको बचाना हम सब का कर्तव्य है।"
"आओ चलो समाज में यह जागरूकता फैलाएं
और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में अपना अपना योगदान दें।"
आशा है कि यह निबंध आपको अच्छा लगा होगा और आपके लिए उपयोगी होगा। धन्यवाद।

