जल-संरक्षण पर निबंध
(Essay on Water conservation)
दिनांक- 6 जुलाई, 2023
द्वारा- प्रीति राय
इस पोस्ट में मैंने जल संरक्षण पर निबंध हिंदी में लिखा है, यह निबंध कक्षा 1 से 12 तक के विद्यार्थियों की निबंध लिखने में मदद करेगा। आपको हमारे वेबसाइट पर अन्य कई विषयों पर निबंध हिंदी व अंग्रेजी में मिलेंगे।
प्रस्तावना - ईश्वर ने हमें पांच महत्वपूर्ण तत्व दिए हैं - जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी। हर पांचों तत्वों का अपना अलग-अलग महत्व है, जिसके बिना हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। जिसमें से एक जल है, जो बहुत ही अनमोल है। यह शाश्वत सच है जल ही जीवन है। जल संरक्षण है क्या ? पहले हम यह जानते हैं स्वच्छ और शुद्ध पेयजल का व्यर्थ बहाव न करते हुए उसको सही तरीके से उपयोग में लाकर, जल के बचाव की ओर किए गए कार्य को जल संरक्षण कहते हैं। यद्यपि पृथ्वी पर दो तिहाई भाग पानी है, जिसका 96.5 प्रतिशत समुद्री पानी है और मात्र 3.5 प्रतिशत पीने लायक पानी है। अतः धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत आवश्यक है। पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड में मात्र एक ऐसा ग्रह है, जहां पानी उपलब्ध है, इसलिए यहां जीवन संभव है।
पृथ्वी पर हर चीजों को पानी की आवश्यकता होती है जैसे - पेड़-पौधे, जीव-जंतु, कीड़े-मकोड़े, इंसान और अन्य जीवित चीजें आदि। हम मनुष्य को पानी की आवश्यकता पानी पीने हेतु, खाना बनाने, नहाने, कपड़े धोने, कृषि आदि कार्यों में होती है। अतः हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए इस अनमोल चीज को संभाल कर रखें। लेकिन बहुत से लोग पानी के मूल्य को नहीं समझते, उन्हें लगता है कि हमारे पास पानी है, तो हम क्यों किफायत करें और वे अनभिज्ञ होकर पानी की बर्बादी किए जा रहे हैं। यह एक बहुत बड़ी समस्या हो गई है। इसे दूर करना हम सबकी जिम्मेदारी है। अतः हमें जल संरक्षण हेतु जागरूकता फैलानी होगी। जल संरक्षण हेतु हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।
जल संरक्षण का महत्व- जल हमारा अनमोल प्राकृतिक संसाधन है। जल के बिना जीवन असंभव है। हर जीवित चीज को जल की आवश्यकता होती है। यदि हम जल का संरक्षण नहीं करेंगे, तो वह दिन दूर नहीं होगा जब पृथ्वी सूख जाएगी और पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जाएगा। अतः हमें जल संरक्षण के महत्व को समझना होगा और लोगों में भी इसके महत्व का प्रचार-प्रसार करना होगा। संसार के प्रत्येक व्यक्ति को जल संरक्षण को अपने जीवन में महत्व देना होगा तभी हम अपने आने वाली पीढ़ी को इस संकट से अर्थात इस समस्या से निजात दिला सकते हैं।
जल संरक्षण के उपाय -
जल का संरक्षण हम निम्न प्रकार के उपाय करके कर सकते हैं:-
1. वर्षा के जल को संग्रह करना:- हम वर्षा के पानी को एक जगह संग्रह कर सकते हैं, यह एक अच्छा विकल्प है, जिसकी वजह से हम कई प्रकार की गतिविधियों में पानी का उपयोग कर सकते हैं इस प्रकार के संग्रह को रेनवाटर हार्वेस्टिंग कहते हैं। वर्षा के जल को इकट्ठा करने के लिए हम छोटे-छोटे जलाशयों का निर्माण कर सकते हैं। वर्षा के जल को व्यर्थ बहने देने से अच्छा है कि हम इसका संग्रह घरों में भी छत पर टंकी बनवाकर या जमीन में गड्ढा करके उसमें करें और इसका उपयोग हम पौधों में पानी देने, बर्तन धोने, शौच आदि में करके हम काफी पानी का बचाव कर सकते हैं।
2. वृक्षारोपण करना व वृक्षों के कटान को कम करना- जंगलों को काटने से हमें दोहरा नुकसान हो रहा है पहला यह कि वाष्पीकरण के न होने से वर्षा नहीं हो पाती तथा भूमिगत जल सूख जाता है। बढ़ती हुई जनसंख्या और औद्योगिकीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुंध कटान से भूमि की नमी लगातार कम होती जा रही है, इसलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना चाहिए, साथ ही साथ जंगलों को खत्म होने से बचाना होगा, तभी जल का स्तर पृथ्वी पर सामान्य रह पाएगा।
3. जल के उपयोग को घरेलू कार्यों में कम करना- लोगों को समझना होगा कि वह जल का दुरुपयोग नहीं करें। हमें अपने दैनिक कार्यों में विशेषकर शॉवर से स्नान न करके बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें, जब भी जल का प्रयोग करें तुरंत ही नल बंद कर दें (जैसे कि मंजन या मुंह धोते समय), सब्जी वगैरह बर्तन में पानी लेकर धोए और उस पानी का इस्तेमाल पौधों को पानी देने में करें आदि कार्यों में जल का संचय करके हम प्रतिदिन काफी जल का संरक्षण कर सकते हैं तथा हम हमारे बाद आने वाली पीढ़ी के लिए स्वच्छ पानी की बचत कर पाएंगे।
4. खेती के कार्यों में जल संरक्षण- खेतों की सिंचाई हेतु ट्यूबवेल की बजाय टपक सिंचाई प्रक्रिया यानी ड्रिप इरिगेशन का प्रयोग करना चाहिए। इससे जल व्यर्थ नहीं होता है। कुछ बड़े किसान अधिक लोभ के कारण ज्यादा से ज्यादा बोरवेल खुदवा रहे हैं। जिससे वे भूजल का ज्यादा भाग गर्मियों के महीने में कृषि के लिए उपयोग कर रहे हैं। इसका सीधा असर पृथ्वी के जलस्तर पर पड़ रहा है और कुछ वर्षों की अच्छी खेती के बाद उनकी धरती बंजर होती जा रही है। आजकल किसान जगह व भूमि के हिसाब से खेती न करके विपरीत खेती कर रहे हैं जैसे पंजाब के किसान आजकल चावल की खेती कर रहे हैं, जो उनके लिए आगे जाकर मुसीबत का कारण हो जाएगी। हम जानते हैं कि चावल की खेती अधिक वर्षा वाले प्रदेशों में जैसे- पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, केरल आदि जगह पर होती है। पंजाब के किसान चावल की खेती हेतु ज्यादा पानी के लिए बोरवेल का इस्तेमाल कर रहे हैं। जिससे वहां की धरती का जलस्तर कम होते जा रहा है। अतः जल संरक्षण हेतु किसानों को जगह और जलवायु के हिसाब से खेती करनी चाहिए। साथ ही साथ ड्रिप इरिगेशन का प्रयोग करना चाहिए, तभी हम भविष्य हेतु जल संरक्षण कर पाएंगे।
5. पानी की टंकियों को ऑटोमेटिक करना- सार्वजनिक व व्यक्तिगत दोनों जगह पर लगाए गए पानी की टंकियों के भर जाने पर ऑटोमेटिक पानी बंद होने का उपाय करना चाहिए। इससे शुद्ध जल की बर्बादी होने से बच पाएगी।
6. समुंद्र का पानी प्रयोग करके- विज्ञान की मदद से समुंद्र के खारे पानी को पीने लायक बनाया जा रहा है। गुजरात के कई नगरों में प्रत्येक घर में पीने के जल के साथ-साथ घरेलू कार्यों के लिए खारे जल का प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रकार काफी मात्रा में शुद्ध जल का संरक्षण किया जा रहा है।
उपसंहार- जल हमारे जीवन का एक आधार स्तंभ है। धरती पर अब मात्र 1% जल स्वच्छ जल ही बचा है और यदि हम इसी प्रकार से इसे व्यर्थ करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं, जब धरती पर पानी के स्रोत समाप्त हो जाएंगे। अतः हमें अभी से जागरूक होने की आवश्यकता है और अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए दुनिया के सभी देशों को जल संरक्षण करना चाहिए। लोगों में जागरूकता बढ़ाना होगा, तभी हमारा भविष्य सुनहरा बनेगा । अतः सब याद रखें -
जब तक जल सुरक्षित रहेगा।
तब तक कल सुरक्षित रहेगा।।
कर लो अपने मन में निश्चय,
करना है अब जल-संचय।
जल संरक्षण हमारा दायित्व
ही नहीं, कर्त्तव्य भी है।

