ओजोन परत का क्षरण और प्रभाव

 ओजोन परत का क्षरण और प्रभाव




प्रस्तावना - ओजोन ऑक्सीजन का एक प्रकार है, लेकिन ऑक्सीजन के विपरीत ओजोन एक विषैली गैस है। इसका एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है इसको O3 कहते हैं। इसका रंग हल्का नीला होता है और इसमें तीव्र गंध आती है। सूर्य की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से ऑक्सीजन अपने परमाणुओं में टूट जाती है तथा प्रत्येक परमाणु ऑक्सीजन से संयुक्त होकर ओजोन का अणु बनाता है।

    ओजोन गैस ऊपर वायुमंडल (स्ट्रेटोस्फीयर) में अत्यंत पतली एवं पारदर्शी परत बनाते हैं। वायुमंडल में समस्त ओजोन का कुल 90% भाग समताप मंडल में पाया जाता है। वायुमंडल में ओजोन का कुछ प्रतिशत अन्य गैसों की तुलना में बहुत ही कम है।

ओजोन का क्षय - ओजोन सूर्य से पृथ्वी तक आने वाले घातक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है तथा उन्हें पृथ्वी तक नहीं पहुंचने देती है। इस प्रकार पृथ्वी के पारिस्थितिकीय तंत्र के लिए सुरक्षा छतरी का कार्य करती है। इसको पृथ्वी का सुरक्षा कवच कहा जाता है।

       ओजोन परत के क्षरण की समस्या पर विश्व का ध्यान आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। 2021 के विश्व ओजोन दिवस की थीम "मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल" यानी "हमें हमारे भोजन और टीकों को ठंडा रखना है।" ओजोन परत के क्षय की जानकारी सर्वप्रथम वर्ष 1960 में मिली थी। एक अनुमान के अनुसार वायुमंडल में ओजोन की मात्रा प्रति वर्ष 0.5% की दर से कम हो रही है। वर्ष 1985 में वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया है की अंटार्कटिक महाद्वीप के ऊपर ओजोन परत में एक बड़ा छेद हो गया है और यह लगातार बढ़ रहा है। इससे अंटार्कटिका के ऊपर वायुमंडल में ओजोन की मात्रा 20 से 30% कम हो गई है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों के ऊपर भी वायुमंडल में ओजोन परत में छिद्र देखे गए हैं।

क्यों हो रहा ओजोन परत का क्षरण- ओजोन परत में होने वाले क्षरण का कारण मनुष्य खुद है, जिसके क्रियाकलापों से जीव-जगत की रक्षा करने वाली इस परत को नुकसान पहुंच रहा है । इस परत में हो रहे क्षरण के लिए क्लोरोफ्लोरो कार्बन गैस प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। इसके अलावा हैलोजन, मिथाइल क्लोरोफॉर्म, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि रासायनिक पदार्थ भी ओजोन को नष्ट करने में योगदान दे रहे हैं। हम अपनी दैनिक सुख-सुविधाओं के उपकरणों जिसमें एयर कंडीशन, रेफ्रिजरेटर, प्लास्टिक से बने  सामान, रंग आदि से क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस निकलती है, जो ओजोन की क्षय का कारण है।

ओजोन क्षरण का प्रभाव- ओजोन परत के नष्ट होने का विपरीत प्रभाव पृथ्वी के जलवायु पर पड़ेगा या पड़ रहा है , जिससे वातावरण प्रभावित हो रहा है। कुछ प्रभावों को हम यहां पर बताएंगे--

1.  वायुमंडल पर प्रभाव- ओजोन अल्पता के कारण वायुमंडल में हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों का न्यूनतम अवशोषण होता है, परिणामस्वरूप अधिक से अधिक मात्रा में पराबैंगनी विकिरण धरातल पर पहुंच जाएंगी, जिस कारण भूतल का तापमान अत्यधिक हो जाएगा। इसके विपरीत समताप मंडल का तापमान कम हो जाएगा।

     तापमान में वृद्धि के कारण हिम-नदियों एवं ग्रीनलैंड तथा उष्णकटिबंधीय अंटार्कटिका की वृहत चादरों का द्रवण हो जाएगा, जिस कारण सागरतल में वृद्धि हो जाएगी।

     वैज्ञानिकों द्वारा यह विश्वास किया जाता है कि ओजोन में अल्पता तथा विनाश के कारण आगामी 40 वर्षों में पृथ्वी तल तक पहुंचने वाली पराबैंगनी विकिरण में 5 से 20% वृद्धि हो जाएगी।

2.   मानव समुदाय पर प्रभाव- गोरी त्वचा वाले लोगों में त्वचा कैंसर का रोग बढ़ जाएगा। रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाएगी। स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।  श्वास लेते वक्त ओजोन के अंदर जाने से छाती में दर्द, खांसी, श्वास  नली में सूजन आदि हो सकता है। श्वास के जरिए ओजोन शरीर में जाने से जीवन की आयु कम हो सकती है और समय से पहले मौत भी हो सकती है। अतः। 

      "ओजोन बचाओ, जीवन बचाओ,                       आने वाली पीढ़ी बचाओ।"

3.  जैव समुदाय पर प्रभाव - पराबैंगनी विकिरण में वृद्धि के कारण तापमान में संभावित वृद्धि होने के फलस्वरूप प्रकाश संश्लेषण, जल तथा पौधों की उत्पादकता एवं उत्पादन में भारी कमी हो जाएगी। तापमान में वृद्धि के कारण जलीय सतह तथा मिट्टियों की नमी का वाष्पीकरण अधिक हो जाएगा, जिस कारण मिट्टी में नमी की कमी बहुत अधिक हो जाएगी। जिससे पेड़ पौधों की क्षति बढ़ जाएगी। कुछ विशेष प्रकार की पराबैंगनी किरणें (UV-B) समुंद्र में कई किलोमीटर तक प्रवेश कर समुद्री जीवन को क्षति पहुंचाती है।

4.  पारिस्थितिकी प्रभाव- विश्वव्यापी विकिरण तथा ऊष्मा संतुलन में जरा भी परिवर्तन होने से पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता, पारिस्थितिकी स्थिरता तथा पर्यावरण की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

ओजोन परत को बचाने का उपाय -  हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाइड्रो फ्लोरोकार्बन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए, ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों से संबंधित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किए गए किगाली संशोधन के अनुसमर्थन को स्वीकृति दे दी है। इससे एचएफसी के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष - हमने देखा कि ओजोन परत का हमारे जीवन के साथ पृथ्वी के पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में बहुत महत्व है। अतः आप सभी से अनुरोध है कि हम सभी सुख सुविधा के सामानों का उपयोग बहुत आवश्यकता पर ही करें जिससे क्लोरोफ्लोरोकार्बन का कम उत्सर्जन होगा और ओजोन की परत का क्षय कम होगा। इसके लिए हमें अपनी जिम्मेदारी समझने की जरूरत है। हम ही अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए स्वस्थ पर्यावरण दें। 

"ओजोन को सुरक्षित रखेंगे, तो हम भी सुरक्षित रहेंगे।"



Post a Comment

Previous Post Next Post